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BUDDHA: भगवान बुद्ध के शरीर पर ८० लक्षण कोनसे थे ?

BUDDHA: What were the 80 symptoms on the body of Lord Buddha?

 

🌷 असीति-अनुव्यञ्जना – 80 अनुव्यंजन 🌷

🙏 भगवान बुद्ध के अस्सी शारीरिक अनुव्यंजन 🙏
(The Eighty Minor Characteristics of Buddha)
[ 32 महापुरुष लक्षणों के अतिरिक्त 80 अनुव्यंजन ]

पहली तीन हाथ एवं पैरों से संबंधित विशेषताएं :-

1) चित्ताङ्गुलि
– अंगुलियां चमकदार एवं आभायमान होती है।

2) अनुपुब्बङ्गुलि
– अंगुलियां आधार से सिरे तक लंबी एवं मोटी होती है ।

3) वुत्ताङ्गुलि
– अंगुलियां गोलाकार होती है।

 

अगली तीन हाथ एवं पैरों के नाखूनों से संबंधित विशेषताएं :-

4) आतम्बनखो
– समस्त नाखूनों का रंग तांबे जैसा सुंदर होता है।

5) तुङ्गनखो
– समस्त नाखुन लंबे एवं गोलाकार होते हैं।

6) सिनिद्धनखो
– समस्त नाखुन चमकदार एवं कोमल होते हैं।

अगली दो पैरों के नाखूनों से संबंधित विशेषताएं :-

7) निगुळ गोप्फकता
– पैरों के टखने मांस में छिपे होते है।

8) अविसमपादो
– पैरों की दसों अंगुलियां आनुपातिक रूप से समान होती है।

चलने से संबंधित पाँच विशेषताएं :-

 

BUDDHA
BUDDHA

9) नागविक्कन्तगामी
– भगवान की हाथि जैसी चाल होती है।

10) सिंहविक्कन्तगामी
– सिंह जैसी चाल होती है।

11) हंसविक्कन्तगामी
– हंस जैसी चाल होती है।

12) उसभविक्कन्तगामी
– वृषभ (बैलों के राजा) जैसी चाल होती है।

13) पदक्खिणावत्तगामी
– सर्वप्रथम दांए पैर से आरंभ कर चलते हैं।

पैरों के घुटने से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

14) चारूजन्नुमडंलता
– गोल घुटने जो चारों और से सुंदर दिखते हैं।

पुरुषेंद्रिय से संबंधित एक विशेषता :-

15) परापुण्ण पुरिसव्यञ्जनता
– पुरुषेंद्रिय परिपूर्ण रूप से विकसित एवं त्वचा कोष में गुम्फित होता है।

नाभि से संबंधित तीन विशेषताएं :-

16) अछिद्द नाभिता
– नाभि में अबाधित रेखाएँ होती है।

17) गंभीर नाभिता
– गहरी नाभि होती है।

18) दक्खिणावत्तनाभिता
– नाभि में दक्षिणाभिमुख एक शुभ चिन्ह अंकित होता है।

जांघों और भुजाओं से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

19) द्विरादकारा सदिसा-उरूभुजता
– जांघें और हाथ हाथि के सुंड की तरह होते हैं।

शरीर के आकार-प्रकार संबंधित आठ विशेषताएं :-

20) सुविभत्तगत्तो
– शरीर के सभी अंग-प्रत्यंग आनुपातिक रूप से पूर्णतः विकसित होते हैं।

21) अनुपुब्बगत्तो
– शरीर का ऊपरी और निचला हिस्सा क्रमबद्ध रूप से विकसित होता है।

22) मट्ठगत्तो
– स्वच्छ एवं साफ सुथरा शरीर होता है।

23) अनुस्सान सब्बगत्तो
– न तो दुबला न ही मोटा शरीर होता है।

24) अलीनगत्तो
– झुर्रियों से रहित शरीर होता है।

25) तिलकादिविरहीतगत्तो
– तिल-मस्सा आदि से रहित शरीर होता है।

26) अदिनगत्तो
– परिपूर्ण एवं शोभायमान शरीर होता है।

27) सुविसुद्धगत्तो
– सभी प्रकार के मलों से रहित सुविशुद्ध शरीर होता है।

शारीरिक शक्ति (बल) से संबंधित एकमात्र विशेषता:-

28) कोटिसहस्स हत्थिबल-धारणता
– एक हजार करोड़ (कालवक) हाथियों जितनी असाधारण शारीरिक शक्ति होती है।

 

 

नासिका से संबंधित एकमात्र विशेषता:-

29) तुङ्गनासो
– सोने की छड़ी जैसी ऊंची-लंबी नासिका होती है।

मसूड़ों से से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

30) सुरत्तद्विजमसंता
– गहरे लाल मसूड़े होते हैं।

दांतो से संबंधित दो विशेषताएं :-

31) सुद्धदतंता
– शुद्ध-विशुद्ध दांत होते हैं।

32) सिनिद्धदतंता
– साफ एवं चमकदार दांत होते है।

इन्द्रियों (आंख, कान, नाक, जीभ, त्वचा) से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

33) विसुद्ध इन्द्रियता
– इंद्रियाँ शुद्ध-विशुद्ध होती है।

केनाइन दांत (Canine Teeth – दो ऊपर दो नीचे नुकीले दांत ) संबंधित एकमात्र विशेषता :-

34) वुत्तदाठता
– केनाइन दांत गोलाकार होते हैं (नुकीले नहीं)।

होठों से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

35) रत्तओठता
– एकदम लाल होंठ होते हैं।

मुख संबंधित एकमात्र विशेषता :-

36) आयतवदानता
– दीर्घ मुख-गुहा (Long mouth cavity) होती है।

हस्त-रेखा (पाणिलेखता) से संबंधित चार विशेषताएं :-

37) गम्भीर पाणिलेखता
– हथेलियों पर गहरी गंभीर रेखाएं होती है।

38) आयत पाणिलेखता
– हथेलियों पर पतली एवं लंबी रेखाएं होती है।

39) ऊजु पाणिलेखता
– हथेलियों पर सीधी (ऋजु) रेखाएं होती है।

40) संठाण पाणिलेखता
– हथेलियों पर सुंदर निर्मित रेखाएं होती है।

शरीर के प्रभामंडल से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

41) परिमंडल कायप्पभात्वन्तता
– शरीर के चारो और षडविध (छ: प्रकार की रोशनीयों) से युक्त आभामंडल (Halo) होता है।

षडविध रोशनीयों का विवरण :-

1) नीला : 🔵
कहा जाता है कि नीले रंग का आभा मण्डल भगवान बुद्ध के सिर के चारों ओर रहता था, जो कि प्राणि मात्र के प्रति उनकी अखण्डित करुणा का प्रतीक है। इस प्रकार नीला रंग मैत्री, करुणा व शान्ति का प्रतीक है। आसमान और सागर के नीले रंग की तरह व्यापकता का संदेश देता है।

2) पीला: 🟡
पीले रंग की आभा भगवान बुद्ध के निकटतम रहती थी। पीला रंग रूप-अरूप की अनुपस्थिति, शून्यता और मध्यम मार्ग का प्रतीक है। मध्यम मार्ग अर्थात अतियों से परे बीच का रास्ता।

3) लाल: 🔴
लाल रंग बुद्ध त्वचा की आभा है। यह रंग धम्माभ्यास की जीवन्तता व मंगलमयता का प्रतीक है। यह प्रज्ञा, सौभाग्य, गरिमा, सद्गुण व उपलब्धि का भी संकेत है।

4) धवल या सफेद: ⚪
बुद्ध के दांतों, नाखूनों व अस्थि धातुओं से धवल आभा प्रस्फुटित होती रहती थी। यह रंग शुद्धता व पावनता का प्रतीक है और बुद्ध की शिक्षाओं की अकालिकता का भी। अकालिकता अर्थात बुद्ध की देशनाएं समय के साथ पुरानी नहीं पड़ती, वरन नित नवीन बनी रहती हैं, वे जितनी सच कल थीं, उतनी आज भी हैं और आगे भी रहेंगी।

5) कासाय या केसरिया: 🟠
बुद्ध की हथेलियों, एड़ियों, होंठों पर केसरिया आभा दमकती रहती थी। यह रंग बुद्ध की अकम्प प्रज्ञा का प्रतीक है। यह वीर्य अर्थात उत्साह व गरिमा का संकेत भी करता है।

6) पांचों रंग-प्रभास्वर: 🔵🟡🔴⚪🟠
पांचों रंगों की मिश्रित आभा अर्थात प्रभास्वर बुद्ध की देशनाओं की विभेदता, क्षमता का प्रतीक है। यह मिश्रित आभा दर्शाती है कि बुद्ध की शिक्षाएं जाति, सम्प्रदाय, नस्ल, राष्ट्रीयता, विभाजन-विभेद से परे न केवल मानवमात्र के लिए हैं वरन प्राणिमात्र के लिए हैं।

गालों से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

42) परिपुण्ण कपोलता
– गाल परिपूर्ण रूप से विकसित होते हैं।

आँखों से संबंधित दो विशेषताएं :-

43) आयतविलास नेत्तता
– विस्तृत एवं विशाल आँखें होती है।

44) पञ्चपसादवंत नेत्तता
– छ: रंगो से युक्त (Crystal clear) आंखे होती है।

छ: रंगो से युक्त आँखो का विवरण :-

1) नीली – जहाँ नीली होनी चाहिए वहाँ अपराजित (अलसी) के फूल की तरह नीली होती है।

2) पीली – जहाँ पीली होनी चाहिए वहाँ (Kanikara) फूल की तरह पीली होती है।

3) सुनहरी – जहाँ सुनहरी होनी चाहिए वहाँ सोने जैसी सुनहरी होती है।

4) लाल – जहाँ लाल होनी चाहिए वहाँ (Bandhukara) फूल की तरह लाल होती है।

5) सफेद – जहाँ सफेद होनी चाहिए वहाँ भोर के तारे (Morning Star) की तरह सफेद होती है।

6) काली – जहाँ काली होनी चाहिए वहाँ काले मोतियों (Black beads) की तरह काली होती है।

आँखों की पालकों से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

45) कुञ्जितग्ग भमुकता
– अपनी युक्तियों के साथ आखों की पलके (Eyelashes) ऊपर की और (Curling upwards) मुड़ी होती है।

जीभ से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

46) मुदुतनुकारत्त जिव्हता
– कोमल, पतली, लाल एवं स्वच्छ जीभ होती है।

कानो से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

47) आयत-रूचिरा कन्नता
– लंबे, सुंदर एवं दोनों कान समान आकार के होते हैं।

नसो से संबंधित दो विशेषताएं :-

48) निग्गण्ठि सिरता
– शरीर में नसो की शिरायें गांठ रहित होती है।

49) निगुळ्ह सिरता
– नसे न तो अत्यधिक उभरी होती है न तो अत्यधिक दबी होती है।

सिर (Head) से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

50) वत्तचत्तानिभचारू सीसता
– एक गोलाकार छतरी की तरह गोल, सुंदर, सुरुचिपूर्ण (Elegant) सिर होता है।

माथे (Forehead) से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

51) आयत-पुथुनलाट सोभता
– लंबा-चौड़ा विशाल सुशोभित माथा होता है।

भौहों (Eyebrows) से संबंधित पांच विशेषताएं :-

52) सुसण्ठान भमुकता
– प्राकृतिक रूप से सुंदर भौहें जिन्हें सावरने की जरूरत नहीं होती है।

53) सण्ह भमुकता
– कोमल-चमकदार भौहें होती है।

54) अनुलोम भमुकता
– भौहों के बाल नियमित क्रम से तथा व्यवस्थित समान आकार के होते हैं।

55) महान्त भमुकता
– भौहें बड़ी होती है।

56) आयत भमुकता
– भौहें लंबी होती है।

शरीर (गात्र) से संबंधित सात विशेषताएं :-

57) सुकुमार गत्तो
– सुकुमार (कोमल) शरीर होता है।

58) अतिवीय-सोम्म गत्तो
– बहुत शांतपूर्ण (Relaxed) शरीर होता है।

59) अतिवीय-उज्जलित गत्तो
– अति उज्ज्वल (Bright Body) शरीर होता है।

60) विमल गत्तो
– शरीर में किसी भी प्रकार के स्त्राव की अनुपस्थिति से धुलरहित (Dirt-free) शरीर होता है।

61) कोमल गत्तो
– शरीर हमेशा स्वच्छ (Fresh) एवं अ-चिपचिपा (Non-sticky) होता है।

62) सिनिद्ध गत्तो
– सुनहरा स्वर्ण-वर्ण शरीर होता है।

63) सुगंध तनुता
– सुगंधित (Fragrant Body) शरीर होता है।

शरीर के बालों से संबंधित छह विशेषताएं :-

64) सम लोमता
– शरीर के बाल समान लंबाई के होते है।

65) कोमल लोमता
– अ-चिपचिपे (Non-sticky) बाल होते है।

66) दक्खिणावत्त लोमता
– शरीर का प्रत्येक बाल दक्षिणावर्त (Clock-wise) कुंडलीत (Curl) होता है।

67) भिन्नञ्जन-सदिस लोमता
– शरीर के बाल नीलवर्ण अर्थात नीले रंग के (Collyrium Stone – काजल पत्थर) जैसे होते हैं।

68) वत्त लोमता
– गोल घुमावदार बाल होते हैं।

69) सिनिद्ध लोमता
– नरम (Smooth) बाल होते हैं।

 

आश्वास-प्रश्वास से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

70) अतिसुखुम अस्सास-पस्सास धारणता
– अति-सूक्ष्म श्वास लेना और छोड़ना।

मुख की सुगंध से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

71) सुगंध मुखता
– मुख हमेशा सुगंधित (Fragrant mouth) होता है।

सिर के शीर्ष से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

72) सुगंध मुड्ढनता
– सिर का शीर्ष सुगंधित (Fragrant Head) होता है।

सिर के बालों से संबंधित सात विशेषताएं :-

73) सुनिल केसता
– काले घने बाल (Jet Black Hair) होते हैं।

74) दक्खिणावत्त केसता
– दक्षिणावर्त घुमावदार बाल (Clock-wise rounded hair) होते है।

75) सुसण्ठान केसता
– प्राकृतन सुव्यवस्थित केश (Naturally well groomed hair) होते है।

76) सिनिद्ध-सण्ह केसता
– क्रमबद्ध स्वच्छ-चमकदार केश (Neat-sort hair) होते हैं।

77) अलुलित-सुरभि केसता
– सुलझे सुगंधित केश (Untangled Fragrant hair) होते हैं।

78) सम केसता
– समान लंबाई के केश (Equal-length hair) होते हैं।

79) अपरूस-कोमल केसता
– अ-चिपचिपे (Non-sticky) कोमल केश होते है।

सिर के प्रभामंडल से संबंधित एकमात्र विशेषता :-

80) केतुमालारतन विचित्तता
– सिर के सिरे (उपशीर्ष) से प्रकाशमान किरणों का समुच्चय (Aggregate of luminous rays) निकलता है जिसे केतुमाला प्रभामंडल कहते है। इन विशेषताओं के कारण भगवान अद्भुत एवं दर्शनीय होते है।

🌷 शतपुण्य लक्षण 🌷
(The Satapuñña Characteristics)

बोधिसत्व ने अनेक असंख्य कल्पो में अन्य सभी सत्वो की अपेक्षा अपनी पारमिताओं तथा पुण्य कर्मों को सौ गुना अधिक मात्रा में पुर्ण किया है इसलिए उनके गुणों (Merits) को सौ-गुना पुण्य (Satapunna – A hundred fold merit) भी कहते है। जिसके परिणामस्वरूप उन्हें 32 महापुरुष लक्षण तथा 80 अनुव्यंजन प्राप्त होते हैं। उक्त लक्षणों को शतपुण्य लक्षण भी कहा जाता है।

मंगल हो 🙏🙏🙏

चार असंख्ययेन(१ असंख्ययेन=१ के आगे १४० शून्य)1 लाख कल्प वर्ष पूर्व 23 बुद्धों से पूर्व भगवान दीपंकर सम्यक सम्बुद्ध के समय तपस्वी ब्राह्मण सुमेध ने
बुद्ध बनने का दृढ़ संकल्प लिया।(चाहते तो उसी समय मुक्त हो जाते)
4 असंख्ययेन 1लाख कल्प वर्षो तक जन्म दर जन्म लेते अनेक कष्ट उठाते हुए
भारी मात्रा में पूण्य पारमिताओं का संग्रह कर बुद्ध बन प्राणी मात्र के लिए दुःखो से मुक्त होने का मार्ग दिया
असीमित कृतज्ञता नमन वन्दन मैत्री🙏🙏🙏

 


 


 

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